श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मन मुकुर सुधारि।
Currently being absolutely aware of The dearth of my intelligence, I pray to you personally the son of Pavan, the Wind God (Hanuman). I humbly inquire you to grant me power, intelligence and information and just take absent all my afflictions and shortcomings.
सदा रहो रघुपति के दासा ॥३२॥ तुह्मरे भजन राम को पावै ।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥३७॥ जो सत बार पाठ कर कोई ।
भावार्थ – भूत–पिशाच आदि आपका ‘महावीर’ नाम सुनते ही (नामोच्चारण करने वाले के) समीप नहीं आते हैं।
A person who recites this Chalisa a hundred times is released from all bondages and may attain terrific bliss.
पवनदीप राजन द्वारा गाया हनुमान चालीसा
You flew toward the Sunshine who's thousands of decades of Yojanas absent, considering him for a sweet fruit
kāndheKāndheShoulder mūnjiMūnjiMunja grass janeūJaneūSacred thread sājaiSājaiAdorn Which means: You've the vajrayudha (mace) and flag/banner in here your palms; sacred-thread manufactured from the munja grass decorates your shoulder.
भावार्थ– हे हनुमान् स्वामिन् ! आपकी जय हो ! जय हो !! जय हो !!! आप श्री गुरुदेव की भाँति मेरे ऊपर कृपा कीजिये।
"किसने लिखी थी हनुमान चालीसा, जिसके बारे में कही जाती हैं कई बातें".
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार ॥
भावार्थ– आप भगवान् शंकर के अंश (अवतार) और केशरी पुत्र के नाम से विख्यात हैं। आप (अतिशय) तेजस्वी, महान् प्रतापी और समस्त जगत्के वन्दनीय हैं।
व्याख्या – श्री हनुमान चालीसा में श्री हनुमान जी की स्तुति करने के बाद इस चौपाई में श्री तुलसीदास जी ने उनसे अन्तिम वरदान माँग लिया है कि हे हनुमान जी! आप मेरे हृदय में सदैव निवास करें।